होठों से जाम लगा कर हाय हटाया तुमने
भरी महफ़िल मे अपना जलवा दिखाया तुमने ।
सितमगर इतना तो बता क्या मिला तुम्हे
जो इतना हंगामा बरपा किया तुमने ।
एक तेरा गम ऊपर से जुल्मोसितम
ज़माने ने क्या क्या कहर ढहाए हमपे ।
तुम्हारी उल्फत मे हँसे घडी दो घडी
उम्र भर रुलाता रहा तू हमको ।
कितने बवाल है जिंदगानी के
रास्ता गलत बता के दूर हो गया हमसे ।
जज्बातों का बाज़ार गरम किया हमने
उपाए से दिल तोड़ दिया तूने बिना हमसे पूछे ।
कहर बरपा आसमान है आज की रात
तू गया है सफ़र पे बिना हमसे पूछे ।
बरबादिए किस्मत का तमाशा देखा किये
अंजुमन_ए_नाज मे है तू हमसे बिना पूछे ।
वादा शिकन पैमाना तोड़ के क्या मिला
जाम ही न मिलते तो 'रतन' जियेगा कैसे ।
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