नज़रें मिला के नज़रें चुराना हुआ
अच्छा है खत्म ये अफसाना हुआ
दिल लगी दिल्लगी हुई
उनके हक में जमाना हुआ
हमसे मोहब्बत हमीं पे इनायत
हमीं से दामन बचाना हुआ
हसरते उल्फतोकरम न रहा
जो हुआ वो अच्छा हुआ
बरबस तो कुछ न था
पर माहताब क्यूँ छुप गया ?
कुछ समझ न आया
अचानक तुमको क्या हुआ ?
लहरें शांत हो गईं
ज्वार भाटा न रहा
कश्ती ए उल्फत डूब गयी
समंदर को क्या हुआ?
दिलकश अदा जादू ए वफ़ा
चाँद रोज़ में बुखार उतर गया
किसी की हालत बिगड़ी
मगर बीमार तुम्हारा अच्छा हुआ
जिक्र करते वादा वो वफ़ा का
पर ख़त्म वो इरादा हुआ
दिल टूटने की आवाज़ न हुई
दिल भी अब पहलु से जुदा हुआ
कुछ गुल थे चमन में जरूर
हमीं को मगर क्यूँ चुना गया
काश! तुम्हे वाईज समझाए
'रतन' क्यूँ कुम्हला गया
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