सोचता हूँ नववर्ष को
क्या यूं ही बह जाने दूं
मैं कुछ लिखूं तुम पर
यदि तुम भी कुछ लिख सको
व्यतीत को भुला आज फिर से
तेरा श्रिंगार कर सकूं
एक बार फिर से जो
गले आ के मिल सको
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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