तुम्हारा होंठों पे उंगली रख कर मुह फेर लेना
कुछ न कहने की नसीहत मिल गयी
मैं तमाम उम्र न दे सकूंगा कोई जवाब
तेरी एक नज़र की बेज़ुबानी कह गई
तेरी एक नज़र की बेज़ुबानी कह गई
रिश्ता नहीं कोई हमारे तुम्हारे दरमियान
जिक्रेवक्तेरफ़्तार की बात पुरानी हो गई
अपनी सोचो समझ से वाकिफ कैसे करें
दो रोज़ न मिल सके अपने को पशेमानी हो गयी
तल्खी-ए-दिल से अब बहारों में रौनक न रही
कभी गुल भी खिले थे बात पुरानी हो गयी
सिलसिला ए माजी जेहन में नोकेखार सी चुभती है
अब तो अंगूर की बेटी भी सयानी हो गयी
किस तरह से पेशे नज़र करें तुम्हे अशआर
सुबहशाम मिलते थे अक्सर वो बात पुरानी हो गयी
'रतन' को कोई गिला नहीं तुमसे हरगिज़
भले जमाने को किसी तरह बदगुमानी हो गयी
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