इक तिफ़्ले-नादां है दिल ----
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हाथ रख दो सीने पर संभल जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
बरसों की मुलाकात के बाद भी जो
तुम आके गले से लग न सके
यह क्या कमनसीबी है तुम समझो
इक चाहत थी जो तुम कह न सके
हसरते-दिल का ये अरमान मचल जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
तेरे होठों के तपन की हरारत मिल न सकी
तुम गैर हो के भी मेरी थी समझ न सकी
इतने दिनों के अलगाव के बाद मिले तो
थोड़ी सी दूरी थी न मैं बढ़ सका न तुम बढ़ सकी
ये तूफ़ान आया ही क्यूँ था जो गुजर जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
इक वो भी जमाना था किसी से न डरती थी
अपने वालिदान के मना करने पर भी मिलती थी
क्या हुस्न में शोखी थी क्या इश्क़ का दावा था
कदम-ब -कदम तुम साथ थे ये दूरी न अखरती थी
आँखों से अश्क़ क्या यूहीं ढुलक जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
तेरी चूड़िओं की खनखनाहट मन मोह लेती है
तेरे माथे की शिकन क्यूँ दिल तोड़ देती है
परदेशी हो गए तुम पर मेरे लिए गैर न थे
फासला लंबा हो तो इक घुमाव रिश्ता जोड़ देती है
आज ख्वाब है कल हकीकत बन जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
दूरियां अब कैसी तुम ही आगे बढ़ आओ
मैं न बढ़ सकूं तो तुम फासला घटाओ
मंजिलों पे मिलने की बात थी राह में तो नहीं
अब वक़्त नहीं है कि तुम घूँघट में शरमाओ
हटा दो परदा चाँद निकल आएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
अब तुम दूर रहो समझ नहीं आता
बात -बात पे रूठना समझ नहीं आता
जानता हूँ मनुहार की भूखी हो तुम
पर इससे गुले -इश्क़ मुरझा तो नहीं जाता
न डोलो बागबां चमन का संभल जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
शबनमी अश्क़ हैं सुनहरी तेरी काया
तेरी बेरुखी का राज समझ नहीं आया
तीरंदाज हो तुम ठहरे पुराने शिकारी
क्या तीरे-नजर कोई काम न आया
डोर का सिरा है मेरे पास सुलझ जाएगा
इक तिफ़्ले-नादां है दिल बहल जाएगा
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