Thursday, February 20, 2020


मैं और मेरी तन्हाई 
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मैं और मेरी तन्हाई 
अक्सर बातें करते हैं 
तुम हो तो मैं हूँ 
मैं हूँ तो तुम हो 
हमारा -तुम्हारा अलग अस्तित्व नहीं  
कहती है तन्हाई मुझसे 
हर समय तुम्हारे साथ थी 
औरों के पीछे समय बर्बाद करते थे 
अपनों को कुछ न समझते थे 

बड़ा भरोसा था तुम्हें उन लोगों का 
जो तुम्हारा समय बर्बाद करते थे 
और तो और सब मतलब-परस्त थे 
ख़ुशी में सब साथ गम में ऐसा क्या ?

क्या ऐसा हो सकता है ?
अपना कर्म ही तोसाथ चलता है 
बुरा हो या भला पुनर्जन्म का कारण है 
कर्म तो तुमने कुछ किया ही नहीं 
सिर्फ वक़्त ही बर्बाद किया 

एक झूठे अफ़साने के पीछे 
अपना आपा मिटा बैठे 
जिनके लिए किया वो कुछ न समझे 
साफ़ कह दिया मुझे भला आपसे क्या मतलब 
एक 
मौका मिल गया सबको कहने का 
जब वो अपनी नहीं तो कोई अपना नहीं 
एक -एक कर के सब साथ छोड़ गए 
अपना अब कोई भी सपना नहीं 

बड़ी खुशदिली से वो  गाती थी ---
रह न जाए तेरी-मेरी बात आधी 
मेरे मेहबूब में क्या नहीं क्या नहीं 
हँसी -ख़ुशी कर दो विदा 
तुम्हारी बेटी राज करेगी 

होली में गुलाबी रंग कुछ यूँ चढ़ा 
सुर्ख हुए उसके गाल मेरे हाथ लाल 
कुछ दिन बहारें भी रहीं चमनश् में 
नहीं था कोई दिल में मेरे मलाल 

वो तरन्नुमों का आलम 
सिसकियों में कब बदल गया 
बाप की एक डांट पे आँचल 
तुम्हारा भींग गया 

जाने किस हक़ से तुमने 
मेरी वंशी छुपाई थी 
मेरे पूछने पर तुम्हारे अपनों ने बताया 
राधा के सिवा वंशी कौन चुराएगा 

जाते-जाते छेड़ गयी बेवफाई की तान 
पहले से आहत था होगया परेशां 
तुम्हारी विदाई का देखना मंजर 
दिल को गंवारा न हुआ 
छोड़ के हट जाता तुम्हारी राह 
पहले बता देते तुम हो धोखेबाज 

 मैं और मेरी तन्हाई 
अक्सर बातें करते हैं 
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