Wednesday, February 12, 2020


आ जा मौसम है ठीक-ठाक। 
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आज न हवा चल रही है
न तो कहीं लू के थपेड़े हैं 
हलकी बदली है छाई हुई 
चाँद को सितारे घेरे हैं 
सपनों का नहीं व्याकरण 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

ऐसे ही मौसम सम्हलने पर 
हम रोज-रोज मिलते थे 
खौफ न था किसी के बाप का 
न हम तुम्हारा नाम लेते डरते थे 
नहीं राह में कोई झाड़ 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

हमसे ही थे तुम फ्रैंक 
हमारे पाले में थी गेंद 
हर तरफ आलम था खुशगवार 
दफ़तन लगाया तुमने ब्रेक 
पहले न थी परदे की आड़ 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

दावते-इश्क़ दे के छुप गए 
जाते-जाते इक नज़र फ़ेंक गए 
पल भर में हो गए अज़नबी 
कभी तो न थे तुम पराये 
दिल में हलचल का तूफ़ान 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

चाँद -सितारे हैं गर्दिश में 
छलक उठा पैमाना महफिल में 
अता -पता न था तो तुम्हारा 
कैसे भर जाता जाम बिन साक़ी के 
दिल में चाहत का अंबार 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

याद दिलाता बचपन अपना 
बरसात में भींग कर आना अपना 
जलभराव में किश्ती बहाना अपना 
और इतरा कर चलना अपना 
दुपट्टा सम्हाला जो पकड़ी बाँह 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

वो चटनी-पकौड़े का आलम 
अफ़सुर्दा सी शाम का आलम 
रोते हुए बच्चे को गोद  में लेकर 
वो दूध पिलाने का आलम 
दिल हो गया अपना दिलदार 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक 

तुम्हारे होठों की तपन याद आती है 
आँखों की मेजबानी याद आती है 
अच्छी थी या बुरी थी तुम्ही थी 
तुम्हारी तोताचश्मी अब याद आती है 
मुस्कराती थी छूने पर गुलगुले गाल 
आ जा मौसम है ठीक-ठाक  

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