यह तुम्हारा प्यार,
जैसे रौशनी की धार
अर्ध विकसित पुष्प में ,
पराग का संचार
याद आया अपरिचित ,
तुम्हारा प्यार.
काल का अनुबंध टूटा
मन हुआ निर्द्वंद
कामना से उत्पन्न भावना
बलहीन सा स्वाछोवास
हो गया जगमग
दुधिया चांदनी मे नहाकर
बरस गए बादल
कुंतल लहराकर
नयन सजीले
अविरल धार.
अत्तल _वितल का
समझ आया अन्तराल
अपना मन प्रतिबंधित
स्वयम जला
बना काजल
बही अश्रुधार.
अकिंचन सी भूल
हृदय का शूल
याद आया
तुम्हारा प्यार,!!!!!!!
Friday, January 25, 2008
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