क्या मृत्यु के बाद भी होता है तनाव
उत्तर यही है यह शाश्वत है बिलकुल अटूट ,
मृत्यु के बाद किसी भी कर्मभोग योनी मे
जन्म लेने के बाद भी होता ही है ।
असामयिक मृत्यु के बाद भी दिगंत
मे भ्रमति आत्मा को रहता है तनाव ,
इससे छुटकारा योगियों तपस्वियों ने पाया
पर समयकाल के आगे यह अल्पकालिक है ।
मुक्ति के बाद भी यह फिर फिर होता है
शश्वत मुक्ति नाम की कोई चीज़ नहीं है ,
वर्तमान समय कलह के वातावरण मे ही
हर कोई है तनावग्रस्त क्या चार क्या अगोचर ।
कोई बेटे से परेशां तो कोई बेटे के लिए
कोई नौकरी से परेशान तो कोई नौकरी के लिए ,
मुझे समझ नहीं आता है क्यों हर कोई तनावग्रस्त
इससे पार होने की कला आज तक मैं जान न पाया ।
हर कहीं हर किसी से यही सुनने को मिलता है
मैं अमुक के लिए परेशान तो अमुक अमुक के लिए ,
मुझे समझ नहीं आता है क्यों हर कोई तानाव्ग्रसित
इससे पार होने की कला आज तक मैं जान न पाया ।
धारणा ध्यान समाधि करके भी नहीं पाया विकल्प ,
यह चतुर्दिक है और न ही इसका कोई और _छोर ।
सदा से व्याप्त है मानव मष्तिष्क मे
सभ्यता के विकास के साथ यह हुआ और विकसित ।
मेरे बुजुर्ग लालटेन की रौशनी मे पढ़ते थे
और हम बिजली के युग मे भी नहीं है तनावमुक्त ,
समस्या और बढ़ी है कम होने की बजाय
कल बैलगाड़ी से चलते थे आज विमान गिराते बम ।
असहायों निर्बलों के रक्त से धरा बन रही उर्वरा
रोम यूनान की संस्कृतियाँ मिट गयी , अपनी जीवित लाश
दारोमदार किस पर मुगलों पर की अंग्रेजो पर
मुग़ल औरंगजेब पर या अंग्रेज लोर्ड मैकाले पर ।
हिन्दुओ को किसी ने मुसलमान होने को विवश किया
तो अंग्रेजियत फैली हर भारतीय बना काला अँगरेज़
समाधान होता हर समस्या का पर जुबां है खामोश
मेरे ही रक्त सम्बन्धी मुझी से लेंगे इसका प्रतिकार ।
किसी भी अभियान से पहले यह बहुत ज़रूरी है
तनावमुक्ति के लिए अभियान चलाने का धंधा
हर कोई ग्रसित है चाहे घर हो या बाह्य समाज
कोई नहीं मुक्त इससे चाहे वो हो खुदा का बन्दा !!!
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