Monday, April 4, 2011

Kaash!

राह में कई गुलाब मिले 
पर उनकी खुशबू खींच न पाई
मुझे तो तलाश थी गुलशन की 
पर जब गुलशन का नज़ारा हुआ 
तो पतझड़ बीतने को था 
और फूल सूख चुके थे 
सिर्फ हर और कांटे ही कांटे थे 
दिल से एक आह निकली काश!
राह के फूलों की उपेक्षा न की होती 
आज काँटों से दामन तार-तार न होता   

1 comment:

rajeeva ratnesh said...
This comment has been removed by the author.

About Me

My photo
ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!