गिले शिक़वे मिटा डालो
शायद मिल न सकें
पुराने गिले शिकवे मिटा डालो
फिर मुलाकात हो न हो
तीरगी में चमकता अलमस्त
तेरा नूरानी चेहरा
फिर उम्मीदेखास के ख्वाबों
का साया हो न हो
चारागर भी सितमगर भी तू
मरहम भी तू है
आकर देख छाला ए दिल
हदे बदतर तक हो न हो
मुंडेर पर मंडराते काले बादल
कहीं बिखर न जायें
घटा को झूम के बरस लेने दे
फिर सावन हो न हो
फिर से शमां आफ़ताब सरीखी
रौशन होगी रतन
महफ़िल के चिराग़ों में भले
उजास हो न हो
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