Monday, December 30, 2019

कहाँ खो दिया अपना चाँद 
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कहता है चमकता हुआ चाँद 
कहाँ खो दिया अपना चाँद 
चाहा था सँवारा था जिसे 
अंजुली से फिसल गया चाँद 

कहा करते थे तुम हमेशा 
वही जिंदगी तुम्हारी है 
करे खता भले लाख सही 
फिर भी वो तुम्हारी साक़ी है 
घुट गये चाहत के अरमान 
कहाँ खो दिया अपना चाँद 

क्यों यह क्या हाल हुआ 
नाता तुमसे तोड़ लिआ है 
धता बता तुमको उसने 
गैरों से रिश्ता जोड़ लिया है 
प्यार बना अभिशाप 
कहाँ खो दिया अपना चाँद 

कितने मजबूर हो तुम आज 
सज़ा कसूरवार को दे नहीं सकते 
करे सितम पे सितम 
पास आने को कह नहीं सकते 
तबीयत को वो है आजाद 
कहाँ खो दिया अपना चाँद 
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