Tuesday, December 24, 2019

मौजेमस्त होगी हर तरफ बहार छाएगी 
सुना है इलाहाबाद में फिर ताज़ आएगी 

उसका शिक़वा भी होता नही शोख़ी से खाली 
नज़र होगी रहगुज़र पे इस तरफ तलवार चलाएगी 

तवाज़ह में बीती शब के मेहमां शहीद हो गए थे 
मातमपुर्सी में उनकी मरसिया बाअदब सुनाएगी 

चाँद चमकेगा महफ़िल में जोरोआफताब से 
होगा दावते-ज श्न कहीं गाहे  प्यालियाँ रक्स करेंगी  

अहलेदिल ने उसे इस कदर मशहूर कर रखा है 
बला हो किसी की अंजामेदरबार लाएगी 

नया साग़र भरा जाता हैगुलाबी पेश की जाती है 
मशक्कली है सबको गुनहगार बनाएगी 

किसी की नहीं चलती उस पर हुक्मरानी 
कर पेश पूरी नग़मों की क़िताब जाएगी 
आएगी 
आँखें     नीली झील नाक जैसे खंजर 
जुल्फें खोल के घटाए आबशार लाएगी 

ज़िस्म उसका यूँ महके जैसे फूल बगिआ 
लबो रुख्सार से वो गुंचा ए नौबहार लाएगी 

शहर छोड़ कर चले गए परवा नहीं हमारी 
थी तमन्ना ढूंढ़ नया दिलदार लाएगी 

आएगी महफ़िल में पल्लू में फाग लाएगी 
बड़ी मुद्दत के बाद रतन शहर में ताज आएगी 














































  

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