Sunday, July 19, 2009

तैयार बैठे हैं........!!!!!!!!!

ले के चले आओ खंजर हम तैयार बैठे हैं
हो के हर सितम से आजाद सरेबाजार बैठे है ।

किसने कहा तुमसे तर्क_ऐ_मुहब्बत हमने किया
हम तो तुझे ही समझ कसूरवार बैठे हें।

ज़माने ने नहीं दर्द दिया गिला तुझी से है
तुम सोचे पार हो गए सरे_ मंझदार बैठे हैं

किनारे से ही जुदा हो गए तुम
हम भी कश्ती मे बिना पतवार बैठे हैं ।

दिल की आतिश तुमसे रिश्ता जोड़े बैठी है
तुम हो दरिया बुझ जाने को सर_ऐ_आम बैठे है ।

सितारे गर्दिश मे मगर हमने भी ठानी है
वार सहने को तेरा लिए उधार बैठे हैं ।

आसमान से उतर जहाँ पे तू छा गई
दिल मे हम लिए तेरा प्यार बैठे है

रूठ जाओ करो जफा हमें ऐतराज़ नहीं
हम किसी और का लिए ऐतबार बैठे हैं

समझना ही होगा आखिरकार उल्फत को तुझे
हम भी बिगाड़ जिंदगी अपनी आखिरकार बैठे हैं

मुक़द्दस प्यार कहीं देखने को नहीं मिलता
हम भी jafaa का सारा किए इंतजाम बैठे हैं

इतनी भोली न बन ताज तुझको हम जानते हैं
कैसे कटती है रातें तेरा लिए फिराक बैठे हैं ।

न तुझसे ख़त_ओ_किताबत न कोई मलाल
रुसवा हुए किस कदर हुए गुमराह बैठे हैं ।

बहुत हुआ तो कब्र पे मेरी आकर रो लोगे
'रतन' अपनी मैय्यत का लिए सामान बैठे हैं ।


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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!