तुम भी परेशान हो
मैं भी परेशान हूँ
मगर क्या करुँ
हमारे तुम्हारे बीच
हिचकिचाहट की
एक दीवार खड़ी है
राहों में तुम आगे
बढ़ जाते हो
मैं अपनी जगह पर
ठिठका रह जाता हूँ
कौन पहल करे
सिलसिला बातों का
ज़ोर पकड़े ।
अभी तक तो निगाहें
मूक आमंत्रण देती हें
तुम मुझ पर वारे
मैं तुम पे वारा
मगर हमारे तुम्हारे बीच
व्याप्त है खामोश सन्नाटा
इस सन्नाटे को बदलो
इस चुप्पी को तोड़ो
वरना हम तुम यूँ ही
तड़पते रहेंगे सालो साल
ना तुम बोलोगे
न मैं बोलूँगा
मगर खामोशी
की आवाज़
मैं समझता हूँ
यह चुप्पी तुम्हारी
मुझ पर भारी
पड़ रही है
इससे पहले की
मर्यादा का उल्लंघन करुँ
तुम मेरे करीब आकर एक
मीठी चितवन के बदले
यह जिंदगी मोल ले लो
और मुझे सदा सदा के लिए
निहाल कर दो
अपनी उसी मुस्कान को
मेरे अतीत के antardwando की
व्याप्त आकुलता
की झुंझलाहट
में उठाये गए
कदमो से मत जोडो
थोडी सी तो तुम
हिम्मत करो
नहीं तो खामोशी
मे ही दफ़न
हो जायेगी
ये जिंदगी
और मैं एक खामोश सदा
तुमको देता रहूंगा
जिंदगी के अन्तराल तक
मौसम भले बदल जाए
साज़ बेआवाज़ हो जाए
मेरे होठों से तरन्नुम
phoot निकले
और वो एक गीत की
रचना कर ले
इसके पहले ही तुम
एक तड़पन के साथ
अपने होठों से निकली
एक ग़ज़ल मेरे
नाम कर दो
और मैं उसकी
अहमियत को
पहचान कर
अपनी ही ज़मीन पर
ठहरा ही न रहूँ
बल्कि आकाश में ही अवस्थित
चाँद सितारों से बातें करुँ
अपनी हर ग़ज़ल
तुम्हारे नाम करुँ
और एक नए अंदाज़
के साथ नए साल में
तुम्हे मुबारकबाद दूँ
बस.......अभी इतना ही !!!!!!
Wednesday, December 31, 2008
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