आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल ।
एक लय सी निकली थी
या रुदन की अभिव्यक्ति थी ।
एक मधुर हास के बदले
ले गया दिल को कौन मोल
आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल ।
इस दर्द के सहारे जिया
इस दर्द के सहारे घुटा
लूट ले गया कोई खुशी
जीवन मेरा अनमोल ।
आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल ।
प्राणों में रूप तुम
जाने कैसे समाये थे
जीवन रस का प्याला दे कर
ले गए निधि बेमोल
आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल
छवि निरख कर ह्रदय
प्रमुदित था महा
चुपके से अनजाने मे
कौन गया ह्रदय को खोल।
आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल ।
छवि मूक मनोहर मधुर
प्राणों मे अहा निस्पंदन
दे गए आज दर्द कठोर
मेरी मृदु कविता के बोल ।
आज मेरी वंशी क्यो मौन
कौन गया ह्रदय मे दर्द घोल ।
Sunday, December 14, 2008
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