आज फ़िर तुम हमसे हारे
मैं जीत कर भी तुमसे हारा
समय का यही है तकाज़ा
हार में असली मज़ा है
इसलिए बार बार मैंने
हार को ही अपने लिए चुना
तुम्हे बार बार जिताया
कभी तुमको जीतने को
मन भी नहीं करता
तुम थोड़ा gumaan to कर लो
क्यों मैं naahak हारा
तुमने मुझे bechaara samjha
मैं tumhaari naasamjhi पर hansa
pagle! हम और तुम
अलग कहाँ है
prakriti का shashwat niyam
तुम्हे समझ नहीं आया
सब mujhme kalpit
sabme मैं vyaapak
जो चेतन tumhaare अन्दर
वही मेरे भीतर
इसमे जीत और हार नहीं है
मैं brmhaand me vyaapak
सब कुछ mujhme kalpit है
फ़िर तुम भी to वही हो
जो मैं हूँ
हम तुम एक ही ikaaee
के दो pahloo हैं
bhale samandar के chor हैं
tumhaare मेरे me एक ही satta
काम करती है
और वह है saarvbhoum
तुम सोच कर प्रसन्न हो
तुमने मुझे bhulaya
पर सच मानो तुम्हे
मैं आज तक भूल न पाया
kyoki तुम मेरी ही to
rachnaa हो
मुझसे अलग
tumhara astitwa नही है
kartaa से कारण
अलग नहीं होता
वैसे ही जैसे anshi से ansh
parmaarath ज्ञान यही है
जो thodaa बहुत समझ पाया
हम और तुम न अलग थे
न अभी अलग हैं
और भविष्य में भी जुदा न होंगे
kalewar to बदलते हैं
काल चक्र के कारण
पर जो नहीं badalta
वह abdal aatma है
और मैं aatmaa में
pratisthit हूँ
इसलिए moun हूँ
काश! की तुम aatmaa को jaano
या to फ़िर मुझे pahchaano
नही to सिर्फ़ फ़िर
अपने अन्दर jhaank कर देखो
यदि मैं astya हूँ
to क्या तुमने कभी भी
मेरे बारे me नही सोचा
मेरे astitwa को नही swikaara
यह सिर्फ़ तुम्हारी dhaarnaa है
की मैं वह नहीं जो pahle था
अपनी आवाज़ के
khokhlepan को pahchaano
इसके लिए चाहे अपने अन्दर
dubkee lagaana पड़े
पर satya को jaano
नही to इस niraadhaar जीवन
का कोई सन्दर्भ नहीं होगा
दो_चार maans के lothde को
janmaa कर कुछ khushiyaan
कुछ yantrnaaye कुछ jijivishaa
लिए जीवन से मुक्त हो जाओगे
और अंत समय तक
मुझे नही या kahu
की अपने आप को नहीं
pahchaan paaoge
फ़िर वही naarkiy ghutan
की sadaandh tumhara peechaa
ना chodegi
हम तुम janmte और मरते रहेंगे
प्रसंग बदलते रहेंगे
iskaa अंत tab तक नहीं होगा
जब तक तुम अपने को न pahchaano
मैं फ़िर फ़िर तुमसे
haarnaa चाहता हूँ
और हार कर भी
खुशी के गीत
gungunana चाहता हूँ
काश तुम vaastav में
मुझे भूल jaao
मेरी भी antarvyathaa
समाप्त हो जाए
और मैं अपने आप me
स्थित हो कर शांत हो jaoon .........!!!!
Wednesday, December 17, 2008
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