मैं samajhta हूं तुम मुझसे
वफ़ा निभाओ तो बात बुरी नहीं
तकदीर रोशन हो तो कोई
शय होती है बुरी नहीं
गर तुम ख़ुद ही मेरी हमक़दम
बन कर चलना चाहो
प्यार में मजबूरियां भी मिले
तो मेरे लिए बुरी नहीं।
Wednesday, December 17, 2008
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