मलते रहें लोग गुलाल
कितना ही
गाल हो पाता नहीं तुम्हारा
लाल है ।
लूटते हैं सब वाहवाही
खुदबखुद
वाह वाह गाल के तुम्हारी क्या बात है !!
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" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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