Thursday, June 26, 2025

तुझे मेरी मंजिल पे पहुँचना होगा( कविता२)

माना तू खूबसूरत है, पर मेरे दिल का यकीं बन न सकी/
अदाएँ तेरी गजब की, पर मेरे दिल को तू छल न सकी/
तुझे अपने को पहले मेरे प्यार के  काबिल करना होगा,
मौजे- मस्त से मेरे दिल की बहार तुझे बनना होगा/
आराम तलब जिन्दगी छोड़ कर तुझे काँटों पे चलना होगा,
तुझे मेरे साथ सँभल-संभल के, इरादों से चलना होगा/
किस गली में, किस मोड़ पर तुम मिल गए थे?
आज भी तुझे मेरे नुक्कड़ का रास्ता याद रखना होगा/
आबशारे- जुल्फ को रोक कर, वादियों में मेरे साथ भटकना होगा,
अंजामें- वफा तुम क्या जानो? वफा कभी की हो तो समझ आए/
मेरे साथ तो तुझे फिसल-फिसल कर सँभलना होगा/ 
ज्यादा इंतजार तेरा कर नहीं सकता, मेरे पास वक्त कम है,
तुझे इंतजार में मेरे, मेरे रास्ते के पत्थर पे बैठना होगा/
मेरी दुनिया, मेरे दिल से निकल जाने वाले, ह स्र तेरा क्या होगा?
तू मेरी जान थी, अब भी तुझे मुझ पर भरोसा करना होगा/
माना मैंने तेरे लिए कोई कुर्बानी नदी, इस काबिल तू ही नहीं,
तुझे कम से कम आगे बढ़ने से पहले मेरी शख्स सियत को समझना होगा/
मेरी दुनिया में आग लगाने वाले तुझे समझना होगा,
मेरी राहों में काँटे बिखेरने वाले तुझे संभलना होगा/
सिर्फ फूलों की चाहत की थी, खुशबू पकड़ने का इरादा न था,
तुझे कागज का नकली फूल बन के ही आना होगा/
निशाना तेरा अचूक होता है, मुझे पहचानना होगा,
इक अपना आखिरी खत मेरे हवाले तुझे करना होगा/
कंकरीले- पथरीले, ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर तुझे चलना होगा,
राह मेरी है  मुश्किल, तुझे मेरा इम्तहान भी लेना होगा/
नकहते- गुल तुझे मुट्ठी में भर के अपने साथ लाना होगा,
आँखों के पैमाने के अश्क को शराब कर पिलाना होगा/
इतना तो कर सकती है, मेरे साथ चलने का वादा लेना होगा,
मेरे साथ- साथ तुझे मेरी मंजिल पर पहुंचना होगा/

      इंतजाम पहले ही कर लिया था तुमने,
      मेरी राह से अलग न होने का/
      तुम तो मंजिल तक पहुंच गए मुझे तो बस,
      अगले मोड़ तक ही आजमाना था/

           राजीव रत्नेश
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