मैं दश्त की आग का मंजर!
तू मेरी जान की दुश्मन;
मैं तरी फर्म का मैनेजर!
आके मिल जा तू मुझसे;
तेरा- मेरा एक ही शहर!
साथ- साथ चलेंगे सू- ए- मंजिल!
आजा साथ मेरे; बन जा हमसफर!
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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