Sunday, June 22, 2025

शाम के धुंधलके में( कविता)

शाम के धुँधलके में मुलाकात होगी,
हमारी उनसे दिली बात होगी!
वो मेरे हक में, न कोई बात करेंगे,
मेरी गलतियों का बस इजहार करेंगे!
समझ आया तो रहे- उलफत से गुमराह करेंगे,
मौसमी फूलों की बात करेंगे, दिल शरसाद करेंगे!
दिन में सूरज हो, कितना भी तपता हुआ,
शाम को धुँधलके में बरसात करेंगे!
मिले उनका साथ, तो हर बात सहेंगे,
हर किसी को न दिलदार करेंगे!
इसी बात से दिल मस्त है मेरा,
कम से कम वो मुझसे बात करेंगे!
पीले दाँतों को, सुफेद और चमकीला करने को,
सुबह और रात कोलगेट का इस्तेमाल करेंगे!
जुबां शीरीं करने को चाशनी पियेंगे,
रसगुल्ला रोज रात को जुबाँ पे रखेंगे!
पहले भी हुस्न का उनके, कद्रदां रहा था मैं,
फिर से इश्के- हकीकी सुनेंगे, इश्के- मजाजी की बात करेंगे!
फिदा हुआ उनकी मस्तानी अदाओं पे,
वाकिफ नहीं वो मेरे इश्के- तूफानी से!
खत्म कर चुहलबाजी, शुरुआते- खतो- किताबत कर,
ब्लाग मेरा एक बदलाव है, जीवन के उतार- चढ़ाव का!
कर चूमा चाटी, भवों की कमान पर तीरे-निगाह न चढ़ा,
जी ले शान से, मरघट की खामोशी न बढ़ा!
देखकर तेरी धींगामुश्ती, भूला प्रेम- व्यवहार,
आखिर तू इक औरत है, वफा का रखती सारा सामान!
     आँखें तेरी प्यार के प्याले,
     पिला दे मस्ती ढ़ाल के,
     पैर न डगमगाएँ प्यार में,
     देख जरा सँभाल के!

मर्ज बढ़ता गया, ज्यूँ- ज्यूँ दवा की!
बाज आए जख्मेदिल तुझे दिखा के!!

      मेरी खिलाफत में तेरा बाप था शामिल,
      जाहिलों की बस्ती का बाशिन्दा,
      फूहड़ों से पड़ा वास्ता,
      प्यार ने दिखाया रास्ता!
      तू दिला मुहब्बत का यकीं,
      भुला दूंगा ये दुनिया, ये जहाँ!
      रहे- मंजिल में दरख्तों के पीछे मिलेगी तू,
      दिखाएगी आगे का रास्ता!
      दिलकश तेरी अदा, शीरीं जुबां तेरी,
      कर ले नाकाबंदी हुस्नोशबाब का!
      तेरी खतायें सारी मुआफ_______
      कर ले मुझसे मिलने का वायदा!!

आ जा इक बार, खुशनुमा मौसम की सुन पुकार!
सरहदे- दिल से उठती आह, सुन ले उसकी फरियाद!!

         राजीव रत्नेश
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