खुद आए थे मिरी राहों में, इकरारे- मुहब्बत किया क्यूँ था?
निमाना न था तो बेवफा तूने प्यार किया क्यूँ था?
अजनबी जान कर भी, दिल तूने दिया क्यूँ था?
मेरी आबाद गुलशन को, बहारों का न्यौता देदे,
हो सके तो, मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
समझा होगा अजनबी तुमने स्ती भर,
तभी तो बनना पड़ा मुझे पौवा सा,
खुले होते अगर जरा भी मुझसे तुम,
पाते सदा मुझे डाइरेक्टली प्रोपोशनल सा!
पैगाम भेजा है इश्क ने तुझे, इक मौका देदे,
दे सके तो मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
सुना है तुम किसी का अहसान उठाया नहीं करते,
प्यार के बदले फिर प्यार अता क्यूँ नहीं करते?
मुहब्बत नहीं अगर दिल में तेरे, मेरे लिए,
बेवजह अपनी नजरों को तकलीफ में रखा तुमने!
मेरे दिल में आकर अरमाने- मुहब्बत चूर कयूँ नहीं करते?
दे सको तो, मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
बिना रुस्वाई इश्क कोई लज्जत नहीं देता,
बिना रुस्वाई आदमी किसी काम का नहीं होता,
मैंने देखी है तिरी आँखों में नूरो- चमक,
जब हुस्न को अपने वजूद का पता नहीं होता!
कुछ दे नसको तो अपनी मुहब्बत की सजा देदे,
दे सके तो मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
बतौर गालिब, इश्क ने हमें निकम्मा कर दिया,
वगरना हम भी आदमी थे बड़े काम के,
नसीहतें दुनिया भर की मिली, पर समझा नहीं,
चल पड़े थे मुहब्बत की राह पर, बिना सरो- सामान के!
मुझे इक बार फिर से अपना ऐतबार दे दे,
देसको तो, मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दो!!
हम आज में जीते हैं, कल का भरोसा नहीं रखते,
कल मिलोगी किस मूड में, हालात से समझौता नहीं करते,
मेरी हो, कलभी मेरी रहोगी, इसका गुमां नहीं करते,
तुम ही मिल पाओगी, इस बात का इरादा नहीं रखते!
बस इक बार, मेरे अहसात की कीमत दे दे,
दे सके तो, मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
फिर से सोने को कसौटी पे, कसना चाहता हूँ,
इक बार फिर तुझे आजमाना चाहता हूँ,
तुझको, मेरी शायद अब कोई जरूरत न रही,
फिर से तुझे अपना महबूब बनाना चाहता हूँ,
मुकम्मल तौर पर, तुझसे निमाना चाहता हूँ,
नहीं तो, दे सके तो मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
पाकर तेरा प्यार, देख के चेहरे को खुश हो लेता हूँ,
साथ तेरे ऊँटी, पहाड़ों की रानी की बरसात से खुश हो लेता हूँ,
रोप-वे ते मनकामना देवी का दर्शन होता है,
पशुपतिनाथ का दर्शन, दिल को लुभा लेता है,
प्रकृति की अनुपम छटा, तेरे मेरे दिल में बसी है,
हो सके तो मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
कल तुम महफिल आबाद करोगी या नहीं,
मैं भी नहीं जानता, तुम भी नहीं जानती होगी,
दिल का हाल तेरा, तेरी आँखों की जबानी जानता हूँ,
तू मेरा प्यार है, तेरा हर अफसाना, हर कहानी जानता हूँ!
न आकर महफिल में, जिस दिक्कत में मुझे डालोगी,
हो सके तो, मेरा प्यार मुझे वापस लौटा दे!!
राजीव रत्नेश
No comments:
Post a Comment