तीन साला मेरी नातिन, मेरी नन्हीं कली!
जब- जब मेरे पास आती है,
मेरा पेन मुझसे छीन लेती है,
मेरे बैग से सारे पेन निकाल लेनी है!
मेरी डायरी छीन कर,
विभिन्न कलाकृतियों से सँजोती है!
कमरे की सफेद दीवारों पर,
माडर्न आर्ट बनाती है!
जब मैं व्यस्त होता हूँ,
लोग मेरे कमरे के दरवाजे,
को बँद कर देते हैं,
ताकि वो मुझे डिस्टर्ब न करे,
वो दरवाजा धकेल अक्सर,
चली आती है,
मेरा मन बहलाती है!
डेली ' मौज स्कूल' जाती है!
लड़की मेरी यूनिवर्सिटी जाते वक्त,
उसे स्कूल पहुंचाती है,
वापसी स्कूल कैब से होती है!
लड़की- दामाद अपने समय से,
अपने नियुक्ति- स्थल पर,
जाकर अपनी तैनाती देते हैं!
वो मेरे परिवार की इकलौती वारिस,
इस वक्त है, लौट कर खुशी देती है!
उसकी' केयर टेकर' उसकी,
देख-भाल करती है,
साथ में मेरी पत्नी भी लग जाती है!
उसे खिला कर, सो जाने पर,
तीन बजे वो चली जाती है!
शाम को उसके उसके अभिभावक,
आते हैं तो वो खिल जाती है!
नहीं तो उठने पर, अपने खिलौनों,
के साथ व्यस्त रहती है!
या तो मेरी डायरी और पेन से,
आगामी भविष्य का' रोड मैप',
बनाती रहती है,
मुझे भी अपने खेल में,
शामिल कर लेती है!
मेरी धर्मपत्नी मेरा पेन,
उससे छीन लेती है,
और उसे डाँट लगाती है,
पर मैं कहता हूँ उससे,
ऐसी-ऐसी डायरियाँ और पेन,
उस पर कुर्बान,
बाजार से और खरीद लूँगा,
कविताओं का क्या है,
वो तो फिर से लिख लूँगा,
पर उसका दिल न दुखाऊँगा!
क्यूँ कि उसी की वजह से,
अनजान शहर में, अपना शहर छोड़,
कर आया हूँ,
नौकरानियों के अलावा भी,
घर का काम-काज चलता है,
उनके अपने भी बाल-बच्चे हैं!
भरपूर प्यार उसे सिर्फ मदर- फादर,
या नानी- नाना और बाबा,
ही दे सकते हैं!
अपने खाली समय ही,
अपने को व्यस्त मैं करता हूँ,
हर महीने उसके जन्म-दिवस पर,
केक मँगाया जाता है,
कभी होटल में, कभी घर में,
वो केक काटती है,
खिलखिलाती है, हँसती है,
फोटोज और वीडियो- रिकार्डिंग,
उसकी माँ और मौसी के सहारे,
सँभाली जाती है,
हम लोग हर महीने जन्म-दिवस पर,
केक काटते और खुशी मनाते हैं!
वो मेरी नन्हीं नातिन,' ट्यूलिप' है,
जिसके लिए हम जीते हैं!!
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चलो खुदा की बन्दगी यूँ भी कर लें!
किसी मासूम को हँसा कर जिंदगी बसर कर लें!!
राजीव रत्नेश
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