Wednesday, June 4, 2025

असलहे तो और भी थे ( शेर१०)

जुर्मे मुहब्बत का इकरार तुमने भी किया था;
मुझ अकेले को काले पानी की  सजा क्यूँ?
कोहसार बन कर मेरा रास्ता रोक लेती
असलहे और थे; तीरे नजर के सिवा तेरे पास!

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!