Friday, June 6, 2025

पहले दिल में रहता था( शेर४)

चार घड़ी की मुहब्बत को तूल दे दिया;
अपनी मुख्तसर सी जिन्दगानी में!
पहले दिल में रहता था; आरजुओं में ढ़ल कर;
अब रहता हूँ तनी भवों के बीच; उसकी पेशानी में)

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