Saturday, June 21, 2025

शायरी की मजलिस( कविता)

जुटी हो कहीं शायरों की मजलिस,
तेरी आँखों की मदिरा की के जाऊँ!
कोई कुछ सुनाए और लोग हँसे,
फिर मैं भी महफिल में धमाल मचाऊँ!
मेरा प्यार तो ताजमहल है, शीशमहल है,
किसी महबूब की शख्सियत तेरे आगे क्या है!
तेरे चेहरे के अक्सो- नक्श पर सबको,
अपनी लिखी गजलें- बेमिसाल सुनाऊँ!
तब तक सुनाऊँ, जब तक जुबाँ पे लग्जिश न आ जाए,
उन्हें अपने शहर के गंगा-जमुनी तहजीब से नहलाऊँ!
कोई बढ़े आगे, जाम पीने के लिए,
पैमाने से पैमाना टकरा के, तबीयत से पिलाऊँ!
साकी तो थी महफिल में जरूर,
उसमें तेरे जैसा रंगो- नूर कहाँ?
मस्ती कहाँ, नजाकते- हुस्न कहाँ?
उनकी लरजती तमन्ना को अदाकार बनाऊँ!
कैसे किसी को बताऊँ, तू मेरे लिए क्या है?
मेरा वजूद है तू, मेरी कैफियत तू है!
मेरी मिस इंडिया कोई है तो तू है,
दिल के उठते जज्बात, तुझे अरमान से दिखाऊँ!
एक शायर की नजर कितनी पैनी होती है,
कोई तेरा हाल पूछे, जवाब मेरे दिल से आए!
तेरी अल्हड़ जवानी है, मस्त कामिनी तू है,
दिल में ही शोरे- महफिल सुन, तुझे अपनी आवाज बनाऊँ!
थिरक उठें प्याले शराब के, झूम उठें सभी,
समां बँध जाए महफिल में सवाल- जवाब का!
तुझे अपने साथ मैं फिर भी जरूर ले जाता,
तुझे दिल में बिठा के साजे- कायनात सुनाऊँ!
तेरे बिना कुछ भी मेरा नहीं, मेरे काम का नहीं,
आ जा साथ बैठें, कोई दे सकता तेरा जवाब नहीं!
अर्जे- मस्तानी, दिल की मेहरबानी है तो तू है,
तेरी आवाज सुनकर महफिल में साज बजाऊँगा!
आके महफिल से तेरी नजर उतारूँगा,
अपने लिए नहीं तो, तेरे लिए नगमा सुनाऊँगा!
तेरी मोहिनी सूरत पे वार बार- बार जाऊँगा,
मिलता रहा जमावड़ा तो, मुहब्बत का अंजाम सुनाऊँ!

तेरी मखमूर निगाही, मुझ पर खासा असर रखती है!
किसी मजलिस में रहूँ, सामने तेरी सूरत रक्स करती है!!

हर अदा- ओ- नजाकत, हर सवाल का जवाब तू है!
मेरी अहमियत है तू, मेरा मजहब, मेरा ईमान तू है!!

            राजीव रत्नेश
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