पर्यावरण प्रदूषित है, निश्चित है रोग का लगाना/
धूल है, आँधी-तूफान कब पलट के आ जाए,
हस्ती की राहों में जरूरी नहीं तेरा यहाँ आना/
हवा में अमोनिया का प्रसारण है, तेरी नाक को होगा आराम,
तेरे जुकाम का यहीं पर है इंतजामे- मदावा/
नाले बजबजा रहे हैं, यमुना खदबदा रही है,
जल- प्रदूषण इतना है, बिना बीमार पड़े वापस नहीं जाना/
अच्छा है मेरे अपने शहर की वातानुकूलित हवा,
वहीं से चला था मैं सोचकर कि मिलेगी सुविधा/
सोचा पहले ही था, तुझे यहीं बुलाऊँगा, इलाज कराऊँगा,
अनुकूल कोई डाक्टर मिला नहीं, रास न आई हवा/
बिना पास नक्शे का बसा है ये शहर पहले से,
इंजीनियर बड़े- बड़े है, पर नहीं उनको आइडिया/
प्लास्टर उखाड़ के सड़क का पुननिर्माण करते हैं,
झुग्गी-झोपड़ी ध्वस्त करते, सड़क चौड़ीकरण है हथियार/
मैंने सुना है, यहाँ आके लोग खुद को ढाल लेते हैं,
विपरीत परिस्थितयों में, उनको आता है दिल लगाना/
कोई गुड़गाँव से" अप-डाउन" डेली करते हैं, तो कोई,
शहर के एक कोने से दूसरे का करते हैं सफर आसाँ/
अपने शहर में रहोगी या यहीं मेरे पास आओगी तुम,
सोच लो आसाँ नहीं होगा, यहाँ पर दिल लगाना/
जमाना बहुत खराब है, शाम को पुरखतर है आना-जाना,
आधुनिकीकरण के नाम पर लग जाता है जाम रोजाना/
कब कहाँ" रूट- डायवर्जन" कर दिया जाय, नहीं पता,
अखबार रोज बताते हैं," एक्सप्रेस-वे" पर ज्यादा होती दुर्घटना/
इंसानों से ज्यादा लोग कुत्तों को महत्व देते हैं,
सोसायटी की तीनों ईमारतों में ज्यादा के पास पालतू कुत्ते हैं/
कभी- कभी लिफ्ट में कुत्तों से साबका पड़ता है,
कुत्ते तो भौंकते हैं, पर मालिक का बर्ताव अनजाना/
दो छोटे मार्केट हैं दो- तीन किलोमीटर के दायरे में,
पर" आटो या टैक्सी- स्टैंड" कहीं नहीं, होता है भटकना/
हमने भी" रूटीन चाय" के अलावा चाय पीना छोड़ा,
वरना डेढ़ सौ रुपये खर्च के, दस रुपये की चाय पड़ता है पीना/ पड़ोसी, पड़ोसी को नहीं पहचानता, यहाँ का रिवाज अनजाना,
सत्ताइस मंजिला मेरी इमारत है, किससे मिलें, कहाँ ठिकाना/
" रतन" को मंजूर नहीं है, अपना शहर बदल के कहीं और जाना,
यहाँ शातिर से शातिर भरे हैं, मुश्किल है उनसे निभा पाना/
राजीव रत्नेश
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सड़कों, चौराहों, शहरों के नाम बदलते आधुनिकीकरण के नाम से,
आज भी इलाहाबादी हूँ, प्रयागराजी नहीं मेरा उपनाम है/
जाति, धर्म, मजहब, या देश की सीमामों से खुद को नहीं बाँधा कभी,
एक जगह का सिमट के होना मंजूर नहीं," वसुधैव- कुटुम्बकं" का मेरा नारा/
राजीव रत्नेश
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