तुझसे प्यार करना और दिल का लगाना; कुछ अच्छा न हुआ!
जिक्रे- जुदाई करना किसी से; मुझे गँवारा नहुआ;
मशहूर तू जमाने में; मेरे जाने के बाद तेरा क्या हुआ?
तुमने भी जागते हुए रात बिताई है; मैंने भी ऐसा ही किया;
दिल मेरा पहलू से जुदा हुआ; मिलन तुझसे हुआ न हुआ!
तेरी आँखों की नीली; गहरी झील में;डूबने की लाचारी थी;
तेरी शातिर निगाहों से इशारा होता रहा; मुझे असर हुआ न हुआ!
तेगे निगाह का तेरे चलना; और कुछ तर्जेबयानी भी रही;
मुद्दआ कुछ था ही नहीं; तू मेरा दिलदार हुआ न हुआ!
दिल के अफसाने से; तेरी मुहब्बत का नामोनिशां मिटा दूंगा;
तेरी नजरों; तेरी बातों; का पता नहीं; मुझ पर असर हुआ न हुआ!
बड़ी शेर दिल अपने को बनती है; पर औकात गीदड़ की भी नहीं;
लड़ाई में कौन जीता; मुकाबला बराबर काभी; हुआ न हुआ!
मुर्दे का मुँह न देखेंगे; न आएगी रुलाई भी;
हुस्न कई बार मरा पर प्यार की रुसवाई से सामना न हुआ!
दूर दिल से हुई; जात तेरी है; अच्छी तरह मेरी पहचानी हुई;
कुछ ये सब तेरी-मेरी हद के बाहर की बात थी; प्यार अफसाना न बना!
गम तुझको बहुत पर तुझको पसंद नहीं प्यार में बदनामियाँ;
मेरे सामने तेरा इठला कर चलना; तू मेरा महबूब हुआ न हुआ!
तेरे लिए जान-बूझ कर मैंने खींची थी लक्ष्मण-रेखा;
देखने के लिए; मेरी बात का असर तुझ पर हुआ न हुआ!
हम भी तेरे साथ रातें बिता देते; गंगा-जमुना के दहाने पर;
प्यार का मौसम; हवा हुई मस्तानी; दिलों का संगम हुआ न हुआ!
हम तेरे प्यार में खुद को हार बैठे थे; असर तुझपे हुआ न हुआ;
' रतन' को उलझाव मिला; गजलों में तुझे उतार कर कुछ हासिल हुआ न हुआ!
राजीव रत्नेश
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