समंदर से लौटा प्यासे होंठों तो जाम- ओ- जमजम पिलाने वाले;
अपनी नशीली निगाहों से दीवाना मुझे बनाने वाले;
अब क्यूँ ठाना है गुलशन करने को सय्याद के हवाले?
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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