Thursday, June 5, 2025

कयूँ ठाना है( शेर१०)

मेरे प्यार के चमन में आरजू का फूल खिलाने वाले;
समंदर से लौटा प्यासे होंठों तो जाम- ओ- जमजम पिलाने वाले;
अपनी नशीली निगाहों से दीवाना मुझे बनाने वाले;
अब क्यूँ ठाना है गुलशन करने को सय्याद के हवाले?

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!