तब्बसुम अपने लबों पे; मेरे लिए लाना होगा!
मैंने सोचा था; तुझे जल्द लौट कर न जाना होगा;
अबकी आई है; तो पलट के दुबारा न जाना होगा!
तेरे जल्वों का नूर फैला है सारी खुदाई में;
तुझको अब मेरे लिए; इक बार मुस्कराना होगा!
अगर तू खफा है तो किस बात से? बताना होगा
तुझे कम से कम इकबार मुस्कराना होगा!
आज भी तुझको आना था; पर बहाना भी तो बनाना था;
मुझी से बचना था; मुझी से दामन बचाना भी तो था!
लगी है आग सारी महफिल में; चीख-पुकार मची है;
तुझको मतलब? क्या वास्ता; कम से कम तुझे आता था!
जमाने में बहुत गम हैं; तेरी बेवफाई का गम कम न था;
तेरा इरादा कमजर्फी का था; पर मुझे तो तुझे बचाना था!
याद कर वो दिन; वो रातें; सर्द रातों में भी तुझे छत पे जाना था;
फिर न तेरा दामन थामूँगा; तुझे बा अपने से मतलब रखना था!
मेरे लिए कम से कम तुझे बचपन अपना लौटाना होगा;
तब्बसुम अपने लबों पर मेरे लिए लाना होगा!
तुझे कम से कम इक बार मुस्कराना होगा!
मेरे दामन पे दागे रुस्वाई तुझे तो लगाना ही था;
दर्देदिल से अपने तुझे; निजात तो पाना ही था!
अपने आँगन में तुलसी का बि र वा लगाना ही था;
मेरे लिए तेरे दिल में दर्द का उठना भी जरूरी था!
इक बार तुझको; पहचान अपनी छिपानी होगी;
अपनी नजरों से मेरे खाली जाम को भर लाना होगा!
तब्बसुम अपने लबों पर मेरे लिए लाना होगा;
तुझे कम से कम इकबार मुस्कराना होगा!
नैरंगियाँ इश्क की; फिजाँ में फिर इकबार छा जायेंगी;
मौसमें खिजाँ में भी; तू कम से कम इकबार आ जाएगी!
मैंने भी खतरों से लड़ना ही सीखा है; भागना मंजूर नहीं;
तेरे लिए हर गम सह लूँगा; तेरी खातिर लड़ना मंजूर नहीं!
बोतल में बँद है शराब; पैमाने से पैमाना कब टकराएगी?
मेरी तमन्नाओं को बामशकक्त कैद से छुटकारा कब दिलाएगी?
अपनी खिरद; अपना अरमां; अपनी निशानी सँभाल के रखना;
फिर मिलोगी तो अपनी ये अलामत; अपने साथ- साथ रखना!
मैं अपना फलसफा खुद याद रखने में माहिर हूँ;
नहीं तो लिख रखने के मामले में माहिर हूँ!
तुझे कम से कम अपना हुनर तो याद रखना होगा;
तुझे कम से कम इक बार मुस्कराना होगा!
मेरी नजर तेरे हालात पे हमेशा रहती है और रहेगी ही;
क्यूंकि तू मेरी जान हें; मेरे पास रहेगी ही और इतराएगी!
जिन हालात में तुझे दूर जाना पड़ा था; ये सोच के;
कलेजे का मेरे मुँह तक आना भी जरूरी भी था!
अपनी जंजीर को अपने पैर का गहना बना लेना;
जरूरी समझो तो मुझे अपने साथ मिला लेना!
नजरों में तुझे; मेरे कम से कम इक बार आना होगा;
तुझको कम से कम इक बार मुस्कराना होगा!
समन्दर की थाह मिल ही जाए; जरूरी तो नहीं;
तू मुझको मिल ही जाए कोई जरूरी तो नहीं!
तेरी नजरों का जाम मिल ही जाए जरूरी तो नहीं;
आग दिल में लग जाए तो बुझाना जरूरी तो नहीं;
मैं तुझ तक आ पहुंचा; ये मुझसे हो न सकेगा;
तुझे ही पास आके सहारा मुझको देना होगा!
अपने फलसफे में किरदार तुझे करूँगा;
इकबार तुझे मेरे साथ अपना साथ बताना होगा!
तेरे जलवों की बरसात इकबार महफिल में होना होगा;
तुझे कम से कम इक बार मुस्कराना होगा!
मैं तेरा दर्द; तेरा अफसाना भला कैसे भूल सकता हूँ;
तू मेरे दिल में रहती है; तुझे कैसे भूल सकता हूँ!
दास्ताने दिल है तूही; तुझे ही मैं याद करता हूँ;
तेरे बिना; हसरतों की बरसात के मायने क्या है?
मैं अबभी तुझे चाहता हूँ; तुझ पे मरता हूँ;
तू अबभी मेरे लिए ख्याले जन्नत है!
इक बार मर्तबा जो तू चाहे; मैं तुझे चूम सकता हूँ;
तू मेरे आगे बेदम हो के दिखा; मैं तुझे बाँहों में ले सकता हूँ!
आ जा तुझको अपने साथ ही ले जाना होगा;
तुझे कम से कम इकबार मुस्कराना होगा!
तू जंगल की हिरनी है; कुलाँचे लगाना काम तेरा;
शिकारी हैं ताक में; निशाना लगाना काम उनका!
बच सके तो बच; वरना कर पुकार मदद को;
सारा काम छोड़ के भी; मुझको तो आना होगा!
उठा के नजर तुझको मुस्कराना नथा;
नजर झुका के तुझे शरमाना नथा!
कैसे कहूँ? तू मेरी मुरादों की तस्वीर है;
झुकी नजरों से भी; तीर चलाना आता है तुझको!
तुझको दिल के अहसात की कीमत चुकाना होगा;
नजरों में तुझे मेरे; कम से कम एक बार आना होगा!
तेरे गम को आँसुओं में; मुझ इकबार बहाना होगा;
तुझे कम से कम इकबार मुस्कराना होगा!
तेरा चेहरा सौम्य; सुशील मुझको लगता है;
तेरे चेहरे का भाव नहीं मुझको मिलता है!
तू मेरे ख्वाबों की परी; किसी से नहीं चेहरा मिलता है;
मेरे सपनों की हकीकत भी तू ही तो है!
तू मेरी वकालत के सफर का इम्तहान होगी;
तू मुझे किसी और का जान कर हैरान होगी!
अपने से जानबूझ कर दूर तूने मुझको किया है;
जान कर हकीकत तू खुद से पशेमान होगी!
मेरे सुनहरे ख्वाबों की हसीं पैकर तू है;
मुहब्बत की राहों की जरूरत तू है!
हमसे खुद की है लड़ाई; खुद ही रुठे हुए हैं;
हमारे होकर भी हमीं से रुठे हुए हैं!
दिल से हार गए हैं; तो खाली चेहरा दिखता है;
गम पाल रखा है दिल में; ऊपर से रुठे हुए हैं!
मुझे उनको प्यार का इन्तरवाब कराना होगा;
नजरों में मेरे; तुझे कम से कम इक बार आना होगा!
तब्बसुम अपने लबों पे मेरे लिए लाना होगा;
तुझे कमसे कम इकबार मुस्कराना होगा!
नजरें उठा के इक बार देख तो लो;
नजरें झुका के बार- बार न देखो!
तेरे दिल में अब वो चाहत; वो मुहब्बत न रही;
तू वही है पर तेरी आँखों मैं मुरौव्वत न रही!
तू मेरे प्यार का अहसास है; मुझे तेरी जरूरत है;
भले तेरे दिल में; मेरे लिए हसरत न रही!
तुझे इकबार वादे पे अपने; भरोसा दिलाना होगा!
तुझे कम से कम इक बार मुस्कराना होगा
राजीव रत्नेश
"""""""""""""""""""""""""""'""""""""""""""""""""""""""""""""""
No comments:
Post a Comment