याद मेरी अपने दिल में संभाल लो, जरा संभल के/
इरादा मेरा कोई खास नहीं, पर तुमसे दिल लगा है,
आ जाओ फिर से पास समय निकाल के, जरा संभल के/
नजरों में फिर शुआएँ चमकेंगी चाँद और सूरज की,
अपनी नजर को मेरे चेहरे पे गाड़ दो, जरा संभल के/
मुहब्बत को दुनिया कभी अच्छी नजर से देखती नहीं,
आओ मेरे प्यार की राहों में देख भाल के, संभल के/
अनजान तेरे शहर में मैं, पर तू तो अनजान नहीं,
लगा दो कहीं भी अपने दिले सुकुमार को, जरा संभल के/
सूरत आजकल मद्धिम- मद्धिम लगती है मुझे,
असर किसी बात का हुआ तो दिल संभाल लो, जरा संभल के/
तू मेरी जान है, दिल से दिल लगाओ, जरा संभल के,
मेरे होंठों पे प्यास है, जामे शराब पिलाओ, जरा संभल के/
मैंने तुझे ही चाहा है, लख्तेजिगर निकाल लो, जरा संभल के,
मेरी मुहब्बत रास न आए तो जहर पिला दो, जरा संभल के/
जिस्मोजान में धड़कन है, अपनी धड़कन संभाल लो,
मैं तुझे कहीं भी, किसी भी डगर में मिलूँ, मिलना जरा संभल के/
मुहब्बत में लाजिम है खुदी को मिटाना, आओ जरा संभल के,
आकर मेरे दिल में समाओ, दिल मिलाओ जरा संभल के/
कहता है तुमसे दिले नादां, आओ राह में जरा संभल के,
नमूना देखना हो प्यार का तो दिल हवाले करो जरा संभल के/
महबूब मेरे, तुमसे ही कायम है कायनाते- मुहब्बत मेरी,
चली आओ पास तारे तंबू उखाड़ के, जरा संभल के/
निशाना भी चलाओ तो देखभाल के, जरा संभल के,
अपने को मेरी मुहब्बत का मदमस्त बनाओ जरा संभल के/
आनाकानी न करो, नातवानी न करो मुहब्बत में,
आओ राहों में, अपने दिल को संभालो, जरा संभल के/
" रतन" को उल्फत तुमसे हर हाल में, समझ लो,
तुम्हारे बिना दिल मानेगा नहीं, आओ राह में, जरा संभल के/
राजीव रत्नेश
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