Thursday, June 5, 2025

इश्क मेरा दूसरों को रास्ता देता गया( शेर७)

तुम जितने दूर होते गए; दर्द बेदस्तोपा होता गया;
ऐ बेदर्द सुन- समझ; मैं परायों से बावस्ता होता गया;
आहिस्ता कदमों से चलो; चमन के गुल जाग जाएँगे;
दिन पर दिन इश्क मेरा दूसरों को रास्ता देता गया!

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!