Sunday, June 29, 2025

फिर से अपनी मुहब्बत जवाँ कर दो( कविता)

एक बार नजरे- बेबाक से फिर देखो/ 
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
तुम्हारा- हमारा फलसफा बढ़ेगा आगे तभी,
दो कदम मैं बढूँ, दो कदम तुम आगे आओ,
इश्क का कोई पुरसाहाल जमाने में नहीं,
हुस्न न चाहे तो इश्क जिन्दा रह नहीं सकता,
तेरी मुहब्बतों का हुनर तू ही जाने,
मैं तेरे बिना, ज्यादा दिन रह नहीं सकता,
ऐ हुस्न जाग जा, तुझे इश्क जगाता है,
तेरी आरजू दिल को है, वसलत का इरादा है,
नजरों के जाम की मुझे बड़ी जरूरत है,
दुनिया में ही जन्नत के मजे का इरादा है,
आके पास इक बार मुहब्बत को जवाँ कर दो/
तुझसे ही दिल को लगाने का इरादा है/
इक बार दिल को पुरसुकूँ कर दो,
आलमे- दुनिया में नया जुनून भर दो,
हर हाल में तुझे चाहूँगा, तू मेरी हो जा,
आके मेरे दिल में, मुहब्बत भरपूर कर दो,
एक- दो जाम से मेरा क्या होगा?
मुझे तो मयखाना उठा के दे दो,
इतनी ही पिला कि होश भी रहे बाकी,
मेरी निगाहों को अपना दीदार करा दो,
मुहब्बत को नया कलेवर पहना दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
कारनामे- इश्क तुझे क्या- क्या सुनाऊँ,
हुस्न को दिक्कतों से सामना तो कराऊँ,
उसको भी इश्क की दुश्वारियाँ समझ आए,
उसको भी मुहब्बतों का साबका पड़ाऊँ,
इक निशानी, अदा- ए- खास मुहब्बत की दे दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो)
प्यार कोई गुनाह नहीं, ज तूने किया,
साथ में जीने मरने का इरादा किया,
तेरा बख्तर बँद जिगर, फौलादी दिल,
फिर नजरों से तूने हमला किया,
उसको इक चोट का नजारा करा दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ करदो)
तुम आए पास, हाल न मैंने पूछा,
न तुमने ही हालेदिल मुझसे पूछा,
बड़ी दिल शिकन हो, नादाँ हो,
तुझे खुद मेरे पास आना होगा,
अपनी तिरछी नजरों से इशारा कर दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
थाईलैंड की मिस यूनिवर्स से क्या मुकाबला,
भारत की ऐश्वर्या ते कम नहीं हो,
वो अब तो" बच्चन परिवार" की शान है,
भले अभी भी सलमान की जान है,
दीवाली बीती, बचा बम- पटाखा चला दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/

बार- बार नजरें फेंक के बार- बार इधर देखो,
" रतन" की मुहब्बत को प्यार का सिग्नल दे दो!!

        राजीव रत्नेश
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