जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
अजनबी राहों का मुसाफिर हूँ; तेरी राह अलग;
तेरी गुजरगाहों से गुजरता हूँ तो तेरा नाम लिया है!
फरियाद करती सी लगती हैं तेरी आँखे मुझको;
निशाना मुझे बनाती हैं; तेरे इश्क की बातें मुझको;
दूर चला जाता हूँ; हर दर; हर ठिकाने से भी;
तेरी याद दिला जाता है; करता जमाना घातें मुझसे!
जब- जब मैं आगे बढ़ा; मुहब्बत को अंजाम दिया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
न सोच तू ज्यादा; इ मेरे सपनों की हकीकत है;
जब तक नहीं मिलती आके मुझसे; तभी तक गनीमत है;
नजरें चार जब होती हैं तुमसे; जिन्दगी की असलियत है;
माँग तेरी मरूँ; इसके पहले दुनिया भर की नसीहत है!
जिस तरह से जिन्दगी ने मुझे अपना निशान दिया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
आला दर्जे की खूबसूरत तू; हुस्न की मलिका है;
नजर जब तक आती है; तभी तक मेरी दुनिया है;
सितारों का लगा फेरा; तेरे आने से मस्ती है;
मेरे दिल की ख्वाहिश; तू मेरी खूबियाँ है!
अपने उसूलों से सबने मुझे मात दिया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
फिकर न कर; तुझे छोड़ किसी ठिकाने न जाऊँगा;
आज तू है मेरे पास; तुझ छोड़ किसी माले न जाऊँगा;
मिल जा; आके गले लग जा; तू मेरी मंजिल है;
तेरे लिए जरूरत पड़ी तो दुनिया से भी लड़ जाऊँगा!
तू आई है तब- तब; जब- जब मैंने तुझे याद किया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
अजब फलसफा; गजब कहानी है मुहब्बत की;
एक फेहरिस्त सी है; फरमान है मेरी मुहब्बत की;
दिल में एक तहरीर है मेरे; अपनी मुहब्बत की;
दिल में मेरे समाई है; इंतजार है तेरी नजाकत की!
जब- जब आगे बढ़ा ; दुनियाने आग लगाया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
तेरा इरादा भी है; इश्क में आगे बढ़ आने का;
मेरा भी वायदा है; हर तरह से मुहब्बत आजमाने का;
तेरी सूरत से अलग जमाना खूबसूरत क्या होगा?
मेरी दुनिया है तू; तुझसे अलग नजारा दिलकश क्या होगा?
महफिल बैठी जब हुस्नो इश्क की; मैंने तेरा नाम लिया है;
जब- जब मैंने मुहब्बत से तेरा नाम लिया है!
राजीव रत्नेश
हर शेर मेरा गजल भी बन सकता है;
जब लफ्जों का खजाना मेरे पास है
राजीव रत्नेश
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