Tuesday, June 3, 2025

मिलने का मंसूबा बने तो( शेर१०)

बहुत दूर निकल आए हो; हमें तुम न समझाझने;
नजरें न मिला सको तो; हाथ छुड़ा कर दूर भी न जाओ;
दिल तुझे ही सहरा- सहरा पुकारता फिरेगा;
मिलने का मंसूबा बने; तो जिद छोड़ पलट आओ!

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!